दोस्तों आप रात को टम टामाते हुए तारों को देखते है,न कितने सुंदर लगते है यदि हम उन्हे पूरी रात देखे तो भी हमारा मन नही भरता है आपके दिमाग मे ये जरूर आया होगा की इनका निर्माण कैसे हुआ होगा.........? हमारे गांव मे तो बहुत सी अंधविश्वास फैली हुई है। जो की आप जानते ही है
लेकिन हमारा विज्ञान ये नही मानता है विज्ञान कहता है
तारे ऐसे खगोलीय पिण्ड हैं, जो निरंतर प्रकाश एवं ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं। ये हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस और धूल के विशालकाय बादलों से बने होते हैं। तारों में उनके कुल भार का 70% हाइड्रोजन, 28% हीलियम, 1.5% कार्बन, नाइट्रोजन, निआन तथा 0.5% में लौह एवं अन्य भारी तत्वों से निर्मित होता हैं। सभी तारों में (सूर्य सहित), हाइड्रोजन परमाणु लगातार हीलियम परमाणु में परिवर्तित होता रहता है और इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी मात्रा में ऊर्जा, ताप और प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। यही ताप और प्रकाश, तारों में चमक पैदा करते हैं।
तारों को, उनके भौतिक अभिलक्षणों जैसे आकार, रंग, चमक (दीप्ति) और ताप के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। तारे तीन रंग के होते हैं: लाल, सफेद और नीले। तारे का रंग पृष्ठ ताप द्वारा निर्धारित होता है।
- लाल- इनका पृष्ठ ताप अपेक्षाकृत निम्न होता है।
- श्वेत- उच्च पृष्ठ ताप वाले तारे होते है।
- नीले- इनका पृष्ठ ताप अत्यधिक उच्च होता है।
दोस्तों, ये तो रही तारो के बारे थोड़ी जानकारी लेकिन, दोस्तों तारो के बारे मे हमें जितनी जानकारी मिलती है उतनी कम है
तारों की उत्पति
तारों का निर्माण मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैस से हुआ है। आकाशगंगाओं में उपस्थित हाइड्रोजन और हीलियम गैसों के घने बादलों के रूप में एकत्रित होने के साथ इसके जीवन चक्र का आरंभ होता है।
प्रोटोस्टार (PROTOSTAR)
का निर्माण प्रारम्भ में, आकाशगंगाओं में मुख्य रूप से हाइड्रोजन के साथ कुछ हीलियम गैस थी। हालांकि, उनका तापमान बहुत कम (-173 °C) था। चूंकि गैस बहुत ठंडी थी, नीहारिका में धूल और गैस के कणों ने एक स्थान पर संघनित होकर सघन बादलों का निर्माण किया। इसके अतिरिक्त, गैस से बने बादल अत्यधिक विशाल थे इसलिए विभिन्न गैस के अणुओं के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल भी अत्यधिक था।
अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण बल के कारण, नीहारिका में सिकुड़न प्रारम्भ हुई और अंत में नीहारिका में इतना संकुचन हुआ कि वे एक अत्यधिक सघन पिंड में बदल गयी जिसे प्रोटोस्टार (Protostar) कहा गया। प्रोटोस्टार दिखने में एक विशाल, काली गैस की गेंद की तरह लगता है। प्रोटोस्टार का निर्माण, तारे के निर्माण में सिर्फ एक चरण है। यह प्रकाश का उत्सर्जन नहीं करता है। अगले चरण में प्रोटोस्टार का परिवर्तन एक तारे के रूप में होता है जो प्रकाश का उत्सर्जन करता है।
दोस्तो हम तारो के बारे मे बस आपको इतनी ही जानकारी दी है आशा करता हु ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो
जब ये तारे पुराने हो जाते है तो black hole मे बदल जाते है
Black hole के बारे मे जानने के लिय link पर click करे, :-
https://cliverminds.blogspot.com/2021/07/what-is-black-holehindi.html