मानव श्वसन की पूरी प्रक्रिया in hindi



 मित्रो,हमारे इस पृथ्वी पर जीवन का स्त्रोत ऑक्सीज़न गैस है। जो कि वायुमंडल मे उपस्थिति है और यह पेड़ पौधों से प्राप्त होती है। 

क्या आपने कभी सोचा है की जब हम ऑक्सीज़न गैस को ग्रहण करते है। तो वह हमारे शरीर मे किन-किन चरणों से गुजरता है। 

जानने के लिए पढ़े                                           


श्वसन तंत्र:-

मानव श्वसन की पूरी प्रक्रिया in hindi


मनुष्य के श्वसन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग फेफड़ा या फुफस होता है जहाँ पर गैसों का आदान प्रदान होता है। इसलिए इसे फुफुसीय श्वसन कहते है। श्वसन तंत्र के अंतर्गत वे सभी अंग आते है जिन से होकर वायु का आदान-प्रदान होता है जैसे- 

  • नासामार्ग
  • ग्रासनली
  • ट्रेकिया
  • ब्रोनकाई
  • फेफड़ा(etc) 
नासामार्ग

इसका मुख्य कार्य सुघने से संबंधित है। यह श्वसन नाल के द्वार का भी कार्य करता है। इसके भीतर की गुहा,म्यूकस कला मे स्तरित होती है। जिससे लगभग 1/2 लीटर म्यूकस प्रतिदिन स्रावित करती है। और यह धूल के कण,जीवाणु या अन्य सूक्ष्म जीवो को शरीर मे जाने से रोकता है। 

शरीर में प्रवेश करने वाली वायु को नासामार्ग नम और शरीर के ताप बराबर बनाती है।  

ग्रसनी

यह नासा गुहा के ठीक पीछे स्थित होता है। इसकी लंबाई 12 से 15 सेंटीमीटर होती है ( यह ऑक्सीज़न को अंदर जाने में मार्ग प्रदान करता है) 

स्वर यंत्र या लैरिंक्स

श्वसन मार्ग का वह भाग जो ग्रसनी को ट्रोकिया से जोड़ता है,स्वर यंत्र कहलाता है इसका मुख्य कारण ध्वनि उत्पादन करना है। इसके द्वार पर पत्ती के समान कपाट  होता है। जिसे (epiglottis) कहते है। जब कुछ निगलना होता है,तो ग्लाटिस,श्वसन मार्ग के द्वार को बंद कर देता है।  जब ऑक्सीज़न को अंदर प्रवेश करना होता है तो श्वसन मार्ग खुल जाता है। 

ट्रेकिया

लगभग 12 सेमी लंबी नलिका होती है। यह वक्ष गुहा में प्रवेश करती है। इसके निचले हिस्से पर दो शाखाएँ निकली होती है। जिन्हें प्राथमिक ब्रोकियोल कहते है।

दायां ब्रोकियोल तीन शाखाओ में बटा होता है। और यह दायां फेफड़ा मे प्रवेश करता है। तथा बायां ब्रोकियोल दो शाखाओ में बटा होता है और यह बायां फेफड़ा मे प्रवेश करता है। 

ट्रेकिया के माध्यम से ऑक्सीजन आता है और दोनों ब्रोकियोल की सहायता से फेफड़ा में प्रवेश करता है। 

फेफड़ा

यह वछ गुहा मे एक जोड़ी फेफड़े होते है। इनका का रंग लाल होता है। और इनकी रचना स्पंज के समान होती है। हमारे शरीर मे दायां फेफड़ा बाये फेफड़ा की तुलना मे बड़ा होता है। प्रत्येक फेफड़ा एक झिल्ली द्वारा घिरा हुआ होता है। जिसे प्लूरल मेम्ब्रेंन(pleural membrane) कहते है। फेफड़ों में रुधिर कोशिकाओं का जाल बिछा हुआ होता है। यह से ऑक्सीजन रुधिर मे चला जाता है। और कार्बन डाइआक्साइड गैस बाहर आ जाती है। 

श्वसन की प्रक्रिया पूरी होती है।  


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